आमलकी/आँवला
आमलकी जो सामान्यतया आँवला के नाम से जाना जाता है विशेष गुणों से भरपूर एक रसायन है। इसको अमृता, अमृतफल, शिवा, वयस्था, धात्री भी कहते हैं।
हिंदी नाम : आँवला
संस्कृत नाम : आमलकी
अंग्रेजी नाम : Indian gooseberry
वैज्ञानिक नाम : Emblica officinalis
आमले के रस में सबसे अधिक विटामिन सी तथा कुछ मात्रा में कार्बोहाइड्रेटस, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, शर्करा आदि पाए जाते हैं। आँवला गुरु, रूक्ष, शीत गुण वाला, शीतवीर्य, मधुर विपाक होने से सेवन करने पर त्रिदोषहर विशेष रूप से पित्तशामक होता है। आमला फल या फलरस को प्रतिदिन सेवन किया जा सकता है। इसका नित्य सेवन करने से मनुष्य को रसायन से प्राप्त होने वाले सभी गुणों की प्राप्ति होती है।
आमलकी फल का प्रयोग कई बीमारियों में किया जाता है जैसे दाह, खाँसी, श्वास, कब्ज, अरुचि, रक्तपित्त, दमा, क्षय, हृदय रोग, मूत्र विकार, रक्त विकार, चर्म रोग, नेत्र रोग, दौर्बल्य, अम्लपित्त आदि। यह वीर्य को पुष्ट करके पौरूष को बढ़ाता है। सिर के बालों को काले, घने, लंबे रखता है। शरीर में अनावश्यक चर्बी को जमा होने से रोकता है। खून की कमी में भी लाभदायक है।
आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के आधार पर इसमें एंटी बैक्टीरियल क्षमता पाई गई। है। कोलेस्ट्राल वृद्धि, अम्लपित्त वृद्धि, कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में भी आमला फल रस पर कई शोध हुए हैं एवं इसको प्रभावी पाया गया है।
ऋतु अनुसार, ताजे फल की उपलब्धता के | अनुसार तथा रोगी व्यक्ति की स्थिति के अनुसार वैद्य की सलाह से आमला का प्रयोग करना चाहिए। डाबर आमला रस तथा डाबर आमला टैबलैट में आधुनिक पद्धति से निर्मित होने के साथ साथ सभी औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं।
ताजे आमला फलों के समान ही तथा आवश्यकतानुसार डाबर आमला रस या टैबलैट का प्रयोग निश्चिंत हो कर किया जा सकता है जिससे अनेकों अनेक बीमा रियों में लाभ होकर, स्वस्थ हो कर लंबी आयु का सेवन करें। मैं पिछले दस सालों से डाबर आमला रस तथा टैबलैट का चिकित्सा में प्रयोग कर रही है, और इसके गुणों का लाभ मिल रहा है ।
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।